शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021
रहस्यात्मक होना अवाश्यक है....
शुक्रवार, 12 नवंबर 2021
प्रेम
सोमवार, 30 अगस्त 2021
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामानयें
शनिवार, 28 अगस्त 2021
बेड़ियाँ
बुधवार, 18 अगस्त 2021
बिखरता जीवन
शुक्रवार, 13 अगस्त 2021
काशी
शनिवार, 26 जून 2021
अंजुरी भर धूप
मंगलवार, 22 जून 2021
नदी
सोमवार, 17 मई 2021
अर्जुन की मनोदशा
बुधवार, 12 मई 2021
मरती इंसानियत
बुधवार, 5 मई 2021
क्या मुझे वो स्नेह मिल सकेगा..?
शनिवार, 1 मई 2021
गोविंद अब तो आ जाओ.....
मंगलवार, 27 अप्रैल 2021
आपदा या अवसर
रविवार, 11 अप्रैल 2021
फिर से लाॅकडाऊन
बुधवार, 7 अप्रैल 2021
मेरे शिव
शनिवार, 3 अप्रैल 2021
सत्ता- ए- प्रधान
मंगलवार, 30 मार्च 2021
बारिश
बारिश की गिरती बूँदों में
तुम मुझे सुनाई पड़ते हो
घनघोर रात के अँधेरें में
तुम मुझे दिखाई पड़ते हो
कैसे भूलू उन वादों को
जो तूने ही सब तोड़ दिये
कैसे निकलूँ उन यादों से
जिनको तुम तो हो भूल चले
ये बारिश की गिरती बूँदे
फिर से वैसे ही बरस रही
जैसे बरसी थी पिछले बरस
इस बार तेरे लिए तरस रही..
गुरुवार, 25 मार्च 2021
घूँघट और बुरका
रविवार, 21 मार्च 2021
खूबसूरत शाम
मंगलवार, 16 मार्च 2021
को-रोना
शनिवार, 13 मार्च 2021
मोबाइलीकरण
हाँ मोबाइलीकरण ही तो हो रहा है जब देखो सब हाथ में मोबाइल लिये उसकी स्क्रीन की तरफ नजर गडा़ये उस पर बार- बार अपने अगूठे से उसे छूते रहते हैं। जब भी कुछ ढूँढना हो मोबाइल उठाया गूगल पर लिखा और जवाब समाने आ गया। कुछ सालों पहले सोचा ना था कि मोबाइल आने से ज़िन्दगी इतनी सुविधा जनक हो जायेगी और फोर जी की सुविधा ने तो सोने पर सुहागा वाला काम किया।
अब तो हर सवाल का जवाब चन्द सेंकेंडों में मिल जाता। देश दुनिया में चल रही हर खबर चन्द सेकेण्ड में सब को मिल जाती है। खबरे वारल तो इतनी तेजी होती हैं जितनी तेजी से कभी भंडारे की जगह का भी पता नहीं चलता था। वाह रे मोबाइल की माया और सब को इन्टरनेट ने नचाया। मोबाइल तो इस कदर हमारे लिए जरुरी हो गया है कि उसके बिना हमारा खाना भी हजम नहीं होता। खाना खाने केे पहले फोटो खींंचना भी एक परम्परा बन गया है।
ये सब तो चल ही रहा था कि कोरोना महाराज ने अपनी ग्रैन्ड एन्ट्री मारी और मोबाइल और इन्टरनेट की प्रसिद्ध को एक नये मुकाम तक पहुँचा दिया।
कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन और अॉनलाइन क्लास के पचड़े ने तो इन्टरनेट कम्पनी वालों की झोली में हर दिन दिवाली वाली खुशी भर दी क्योंकि जहाँ सब खाने के लिये तरस रहे थे वहीं इनकी झोली में हर सेकेण्ड रिचार्ज के पैसे गिर रहे थे। इन्टरनेट डेटा प्रदान करने वाली कम्पनियों के लिए तो कोरोना और लॉकडाउन वरदान साबित हुआ। जहाँ सब कुछ लगभग बन्द हो चुका था वहीं इनका काम एक दम पीक पर था। सबको घर में रहना था अॉनलाइन ही काम करना था तो इन्टरनेट कम्पनियों में खुशियों की बहार आ गयी। दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की भी बढ़ गयी। वहीं घर पर पडे़ निठ्ठले लोग जो इस नुक्कड़ से उस नुक्कड़ आवारागर्दी करते हुए पाये जाते थे उनके पास भी अब काफी समय था तो नाचते, गाते खूब वीडियों बनाये गये।
नतीजा ये हुआ कि बच्चों से लेकर बड़े तक हम सब मोबाइल के आदी हो गये हैं। बच्चे भी किताब से ज्यादा इन्टरनेट में किसी भी चीज को ढूँढने को महत्व देने लगे हैं। अब तो आलम ये है कि रात में सोने के पहले और सुबह उठते ही मोबाइल हाथ में नजर आता है। जिसके बिस्तर के पास चार्जिंग प्वांइट है उसे तो समझो स्वर्ग प्राप्त हो गया। आखिर इतनी अच्छी किस्मत सबको कहाँ मिलती है एक ही जगह पूर दिन पड़े रहो मोबाइल कीबैटरी खत्म हो फिर भी उठकर चार्ज करने जाने की मेहनत तो नहीं करनी पड़ेगी।
अगर यही हाल रहा तो ज़िन्दगी बद से बदतर होती जायेगी। अपनी ज़िन्दगी में चरस बोने वाले हम स्वंय होगे।अभी ज्यादा देर नहीं हुई हमें सम्भल जाना चाहिए नहीं तो कल को ज़िन्दगी में आने वाली हर परिस्थिति को समझने में मोबाइल काम नहीं आयेगा।
रविवार, 7 मार्च 2021
महिला दिवस
अब तक तो सबकी तैयारी पूरी हो गयी होगी। अरे! हाँ वही एक दिन के महिलाओं के सम्मान वाली। 8 मार्च महिला दिवस महिलाओं का स्पेशल दिन जो है। सरकारी हो या गैर सरकारी संस्था इस दिन को सैलिब्रेट करने की भरपूर कोशिश करती है। महिलायें भी इस एक दिन की इज्जत से प्रफुल्लित हो जाती हैं। प्रफुल्लित क्यों ना हो अब साल के 365 दिन में एक दिन लम्बे - लम्बे भाषणों के माध्मम से उसकी तारीफ की जाती से। महिला दिवस की आड में एकदिन सब अपने अॉफिस में पार्टी करते हैं। इस एक दिन को खास बनाने में कोई कमी नहीं की जाती। बधाई का भी एक लम्बा दौर चलता से। सोशल नेटवर्किंग साइट पर पर 8 मार्च को सिर्फ महिला दिवस की बधाई और उनकी तारीफ में कसीदे ही दौड़ती नजर आती हैं। रोड़ पर खड़े होकर लड़कियों को छेड़ने और ताड़ने वाले भी लम्बे -लम्बे पोस्ट लिख डालते हैं आखिरकार उन्हें भी तो दिखाना हो है कि वो महिलाओं कि कितनी इज्जत करते हैं।
लेकिन अगर महिला दिवस का लेक्चर देने वाले पुरुषों से पूछों कि क्या वो हर महिला के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा भाषण में बोला उन्होंने है या अपने घर में अपनी पत्नी के साथ वैसा व्यवहार करते हैं?? खैर इसका जवाब तो वो देंगें नहीं। ये महिला दिवस घर के बाहर काम करने वाली महिलाओं के लिए है मनाया भी जाता है घर के अन्दर चौबीसों घन्टे काम करने वाली महिला का ना कोई महिला दिवस होता है ना कोई छुट्टी।
महिला दिवस पर दिये गये भाषणों में जिस प्रकार उनके देवी होने करने की बात की जाती हैं ना उस देवी को तो वास्तविकता में समान अधिकार भी नहीं मिले हैं। महिला को मिलने वाली आजादी अभी पेपरों और भाषणों में ही सिमटी हुई है,,, ना किसी को उसके सम्मान का चिन्ता है ना जीवन की। बस पूरे समाज ने उसके लिए एक खाँचा तैयार कर दिया है और सब उसे उसमें फिट करने में लगे हैं। एक लड़की का जन्म होता है उसी दिन से उसे उस खाँचें में ढालने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है। उसे हर दिन यही समझाया जाता है कि तुम्हें ऐसे जोर से बोलना नहीं चाहिए, अपनी मर्जी से नहीं अपने माँ बाप की मर्जी से जीना है और शादी के बाद पति की मर्जी से।
एक रिजिड सोसाइटी के हिसाब से महिला को जीवन जीने को मजबूर किया जाता हूँ। उस क्या करना है क्या नहीं,, कैसे जीना है ये कोई और क्यों समझता है उसे क्या उसे अपनी मर्जी से जीने का अधिकार नहीं है। एक महिला को कैसे व्यवहार करना है कैसे नहीं ये वो सोसाइटी क्यों डिसाइड करती है जो समस्या आने पर कभी उसकी मदद नहीं करती सिर्फ उलाहना ही देती है।
महिलाओं की स्थिति में बदलाव लाने के अथक प्यास किये जा रहें हैं और ऐसा नहीं है कि कुछ सुधार नहीं हुआ है। पहले की तुलना में स्थिति कुछ बेहतर जरुर हुई है लेकिन जितना भाषणों में कहा जाती है ना उसकी पाँच प्रतिशत ही सुधार हुआ है।
इतने प्रयासों के बाद भी महिलाओं के साथ हो रहे अपराध में कमी नहीं आ रही है। आज भी महिलाओं को एक - एक कदम चलने के लिए असीम संघर्ष करना पड़ रहा है। पग - पग उसे छोटी और खराब मानसिकता का समना करना पड़ रहा है। हर कदम पर उसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।
आप लोग महिला दिवस पर लम्बे -लम्बे और भारी भरकम शब्दों वालें भाषण दे ना दे उसका सम्मान अवश्य करे चाहे वह आपकी कुलीग हो या घर पर रहने वाली आपकी पत्नी। एक महिला को सम्मान से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए होता है। महिलाओं को उनके हिस्से का सम्मान और उनको उनकी मर्जी से जीने की आजादी दे, उसे अपने बनाये गये खाँचें में ढालने की कोशिश ना करें। जिस दिन ये सब अधिकार महिला को प्राप्त हो जायेगा उस दिन महिला दिवस मनाना सार्थक हो जायेगा।
शुक्रवार, 5 मार्च 2021
अदीब शब्द का अर्थ
गुरुवार, 4 मार्च 2021
उम्मीद की किरण
ज़िन्दगी हर दिन कुछ ना कुछ लेकर आती है। कुछ चीजें हमारे मन मुताबिक होती हैं तो कुछ एकदम उलट। कभी -कभी ऐसा भी वक्त आता है जब निराशा और हताशा हमें चारों ओर से घेर लेती है। चारों तरफ अन्धेरा ही नजर आता है। उस समय महसूस होता है कि बस अब हमारी ज़िन्दगी में कुछ नहीं बचा, हमारी जिन्दगी बर्बाद हो गयी। यही समय होता है हमें खुद को पहचानने का, उस एक वजह को ढूँढने का जो हमें निराशा से आशा की ओर ले जायेगा। यकीन मनिये यही वह वक्त होता है जब हम कोशिश करें तो ऐसा निखरकर बाहर आयेंगें कि हमें बिखेरने वाले के हाथ पछतावा ही आयेगा और वो हमारी जीत होगी... ऐसी जीत जो जीवन के किसी पथ पर हमें हारने नहीं देगी।
कहीं पढ़ा था few bad chapters doesn't mean you're story is over यानी बुरा समय आने का मतलब ये नहीं है कि आप हार मान जाओ, उठो और लड़ो क्योंकि गिरना और उठना ये तो हम बचपन से ही सीखते हैं। पहली बार चलने की कोशिश में भी ना जाने कितनी बार हम लड़खड़ाते और गिरते हैं पर अन्त में हम चलना सीख ही जाते हैं उसी तरह हमें हर मुश्किल से लड़ने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
बुधवार, 3 मार्च 2021
कशमकश
मंगलवार, 2 मार्च 2021
कैदी यादों के
कायर
समस्याओं से लड़कर ही हम
बार -बार गिर पड़ते है
गिरकर उठना, उठकर गिरना
हमसे पूछो मुसीबत में
कौन -कितना किसका होता है पर,
हम वो कायर लोग नहीं जो
चलने से डरते हैं
हम वो कायर लोग नहीं जो
मजबूर होकर मरते हैं
हम तो वो मजबूत पेड़ हैं जो
दिन प्रतिदिन बढ़ते हैं
पत्थरों को तोड़कर कर
हम पानी से बहते हैं
हम वो बुजदिल लोग नहीं
जो चलने से डरते हैं
होगा कुछ यूँ एक दिन
youtube होगा कुछ यू एक दिन कि तुम तक कोई नहीं पहुँच पायेगा जो तुम नजदीक आते लोगो से दूर भाग जाते हो वो तुमको...
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youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि तुम आओगी तो छत के इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...
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youtube होगा कुछ यू एक दिन कि तुम तक कोई नहीं पहुँच पायेगा जो तुम नजदीक आते लोगो से दूर भाग जाते हो वो तुमको...
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मुझे एक प्रेम पत्र लिखना है इन पड़े-पौधों के लिए लहराती सी इस घास के लिए इठलाते से इस झरने के लिए ठंडी सी इस पुरवाई के लिए इन...