स्त्रियां प्रेम को कई
हिस्सों में बाँटकर
अपना श्रृंगार करती हैं
और हर हिस्सा
अपने आप में
पूर्ण होता है
गालों पर लालिमा
होंठों पर मुस्कान
आँखों में काजल
माथे पर बिंदी
लहराते बाल
बालों में फूल
बस ऐसे ही वो
अपने प्रेम को दर्शाती है ...
इन लहरों की ही तरह एक दिन मैं भी आजाद हो जाऊँगी तुम कैद करते रहना मुझे मैं इन किनारों को ही तोड़ जाऊँगी तुम्हारे हिस...
लाजवाब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंबहुत ही सुंदर व प्यारी रचना 😍✨
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(14-11-21) को " होते देवउठान से, शुरू सभी शुभ काम"( चर्चा - 4248) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
धन्यवाद मैम
हटाएंअनुपम रचना।
जवाब देंहटाएंआभार सर
हटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार सर
हटाएंस्त्री मन को परिभाषित करती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार मैम
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंसुंदर 🌷🌷
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