ये कोरोना का रोना खत्म ही नहीं हो रहा। साल भर हो रहें लेकिन स्थिति तो जस की तस है। जब लगता है कि अब गया करोना तो उसका नया स्ट्रेन आ धमकता है। ये भगवान जी पता नहीं कोरोना को उठा क्यों नहीं ले रहे। कभी कभी तो लगता है कहीं करोना स्वर्गलोक से अमृत तो नहीं चख आया। खैर जो भी हो इन्सानों की हालत तो मास्क लगाकर ही खराब हुई जा रही है। ना - ना आप गलत सोच रहें,, अरे अब मास्क कोरोना नहीं चालान के डर से लगाये जा रहे हैं।
हाँ जब कोरोना नया नया इस दुनिया में आया था तब चारों ओर उसकी चर्चा बहुत जोर -शोर से हो रही थी। न्यूज चैन पर सिर्फ कोरोना केस की ही खबरें दिखाई जाती थी। तब हमारे देश में थोडे लोग कोरोना से भयभीत हुये थे। फिर लॉकडाउन ने तो कोरोना के भाव बढ़ा दिया। कोरोना की प्रसिध्दि की चर्चा सम्पूर्ण विश्व में होने लगी। कोरोना के भाव इतने बढ़ेगे किसी ने सोचा भी नहीं था। न्यूज चैनल से लेकर हर सोशल नेटवर्किंग साइट पर कोरोना बहुत दिनों तक ट्रेन्ड करता रहा। उस समय लोग कोरोना से इतना डर गये कि सब्जियाँ भी साबुन से धुली जाती थीं। सैनेटाइजर की तो बात ही मत पूछों। जिन्होंने कभी नाम भी नहीं सुना था कि सैनेटाइजर किस चिड़ाया का नाम है वो भी दस -दस बोतल सैनेटाइजर घर में रखे हुए थे और घर पर पड़े थोड़ी -थोड़ी देर में हाथ में सैनेटाइजर ऐसे रगड कर लगाते थे जैसे कोरोना के साथ हाथ से लकीरें भी मिटा देंगें। कोरोना को हम भारतीयों ने त्यौहार की तरह ही मनाया। पूरे लॉकडाउन हमने किचन में तरह -तरह की चीजे बनाकर आठ -दस किलो वजन भी बढ़ा लिया। विश्व के दूसरे देशों में लोग बचाव कर रहे थे और हमारे यहाँ अचार, पापड़, जलेबी, समोसा और रसगुल्ले बन रहे थे। लॉकडाऊन का पूरा आनन्द तो हम भारतीयों ने लिया वो भी कोरोना से डरते हुए।
गोविन्द ने कहा है जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी होगी तो समय के साथ कोरोना का प्रकोप घटा और धीरे -धीरे कोरोना केस में कमी आने लगी। हम जैसे लोगों को लगा कि यमराज कोरोना तक पहुँच गये। इससे उसकी प्रसिध्दि पर बुरा असर पड़ा और न्यूज चैनलों ने उसकी खबरें दिखाना लगभग बन्द ही कर दिया। लोगों के अन्दर से कोरोना का डर भी धीरे -धीरे कम हो गया। लोग बिना मास्क के घर से निकलने लगे और ये जो बार -बार हाथ सैनेटाइज करने की परम्परा शुरू हुई थी उसका पालन करना लोगों ने कम कर दिया।
इसी बीच कोरोना की वैक्सीन आ गयी का हो - हल्ला भी मच गया। आजकल तो डेली टीकाकरण अभियान चल रहा है। सबके सब कोरोना को विदा करने की कोशिश में लगे हैं लेकिन श्याद अभी कोरोना को धरती छोड़ने की बिल्कुल इच्छा नहीं हैं। वैसे भी इतनी प्रसिध्दि के बाद भला कोई क्यों जाना चाहेगा।
इन सबका नतीजा यह हुआ कि कोरोना महाशय नाराज हो गये। अरे! भाई अर्श से फर्श पर आना किसे अच्छा लगता है। इसी समय कोरोना ने अपने व्यक्तित्व पर गहरा मंथन किया और निष्कर्ष निकाला कि अब मुझे कुछ नया करना होगा नहीं तो लोग मेरी वैल्यू खाँसी, जुकाम और बुखार के बराबर कर देंगे।
फिर कोरोना जी ने खुद में कुछ बदलाव किये और फिर हाजिर हो गये सबके सामने नये रूप में। हमें जो लग रहा था कि यमराज कोरोना को उठा लेंगें उन्होंनें तो अपना रास्ता ही बदल दिया। जिसका टिकट हमें लग रहा था कन्फर्म लग रहा था वो वेटिंग रह गया। अब आलम ये है कि न्यूज चैनल भी सतर्कता से कोरोना के बढ़ते केस की खबरें चला रहें हैं और लोग फिर से मास्क पहनकर घर के बाहर निकल रहे हैं। वो कहतें हैं ना "इतना मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाये" तो कोरोना के साथ भी इस समय यही हो रहा लोगों ने अब इसे हल्के में लेना शुरू कर दिया है। सरकार ने चालान के रेट बढ़ा दिये है तो मास्क पहन कर निकलना जरूरी हो गया है। वैसे भी भारत की जनता नियमों का पालन तभी करती है जब पैनाल्टी बड़ी हो। छोटी -मोटी चीजों को भाव देना तो इनकी फितरत ही नहीं हैं। शुरू में तो कोरोना को भी भाव नहीं दिया
कोरोना के नये स्ट्रेन से भारत में एक बार फिर केस बढ़ने लगे हैं। समय रहते सतर्कता बरतिये सिर्फ चालान के डर से नहीं कोरोना से लड़ने के लिए नियमों का पालन करिये।