इन्सान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
इन्सान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 11 अप्रैल 2021

फिर से लाॅकडाऊन

पाँच दिन से लगातार फिर से लॉकडाउन की खबरें उड़ रही हैं।कोरोना का कहर एक बार फिर से हम पर टूट रहा है।  कोरोना हमारे जीवन एक त्रासदी बनकर आया। ऐसी त्रासदी जिसकी वजह से ना जाने कितने लोगों को पलायन करना पड़ा। मीलों की पैदल यात्रा भूखे प्यासे गरीबों द्वारा तय की गयी। कुछ घर पहुँचे तो कुछ रास्ते में ही भूख और थकान से दम तोड़ गये। 

इन्सान तो इन्सान जानवरों का भी जीवन यापन कर पाना एक समस्या बन गया। पिछला लॉकडाऊन बड़ा भयवाह रहा। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले तो कोरोना से ज्यादा भूखे ही मर गये।भूख एक बहुत बड़ी बीमारी बन गया जिसने कोरोना को एक झटके में मात दे दी थी।

लॉकडाऊन में तो सभी परेशान होते हैं लेकिन एक गरीब का सोचिए जो रोज कमाता है और शाम को कमाये पैसों से राशन खरीद कर लाता है तब उसके घर में खाना बनाता है। ऐसे लोग इस त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।  फिर वैसे ही हालत बन रहे...कोरोना फिर से अपने पाँव पसारा रहा है। पिछली बार श्याद मौतों का आँकड़ा इस बार की अपेक्षा बहुत कम था। इस बार अप्रैल शुरू होते ही कोरोना के केस और मौतों के आँकड़ों में इतनी ज्यादा बढोत्तरी हो गयी है कि फिर से लॉकडाऊन के कयास लगाये जा रहें हैं।
 
हमारे लखनऊ का हाल कुछ ज्यादा ही बुरा हो गया है। यहाँ एक तरफ हॉस्पिटल में बेड की कमी है तो दूसरी तरफ श्मशान घाट में जगह भी कम पड़ रही है। इस बार कोराना पिछली बार से बहत ज्यादा खतरनाक रूप में सामने आया है तो बेहतर यही कि खुद को बहुत अच्छी इम्यूनटी वाला समझ कर नियमों की अनदेखी ना करे। फिर से सैनेटाइजर और मास्क का उपयोग करना शुरू कर दें। क्योंकि अगर ऐसा ही चलता रहा तो सरकार को मजबूरन लाॅकडाऊन लगाना पड़ेगा। 

मेरे जान पहचान में दो लोगों की मौत इस एक हफ्ते में कोरोना से हो चुकी है और चार से पाँच लोग अभी भी संक्रमित है। आप सब अपना और अपने परिवार का ख्याल रखिये और सतर्क रहिये साथ ही इसे पिछले साल की तरह इसे कमजोर कोरोना मत समझिये। इस बार इसने जिसको भी अपनी गिरफ्त में लिया है उसमें से ज्यादातर लोग वेन्टिलेटर पर ही जा रहें हैं। मेरे घर से 300 मीटर की दूरी पर ही अस्पताल है जिससे जानकारी मिलती रहती हैं। यहाँ हालात बहुत बुरे हैं। बस बचाव ही उपाय है साथ ही जिन्होंनें वैक्सीन नहीं लगवाई है मेरा यही सुझाव है कि लगावा लें क्योंकि जिस स्पीड से कोरोना फैला रहा है लगता नहीं कि इसके संक्रमण से कोई बच पायेगा। जान है तो जहान है घर पर रहें सुरक्षित रहें,, जब अत्याधिक आवश्यक हो तभी बाहर निकलें। 

मंगलवार, 16 मार्च 2021

को-रोना


ये कोरोना का रोना खत्म ही नहीं हो रहा। साल भर हो रहें लेकिन स्थिति तो जस की तस है। जब लगता है कि अब गया करोना तो उसका नया स्ट्रेन आ धमकता है। ये भगवान जी पता नहीं कोरोना को उठा क्यों नहीं ले रहे। कभी कभी तो लगता है कहीं करोना स्वर्गलोक से अमृत तो नहीं चख आया। खैर जो भी हो इन्सानों की हालत तो मास्क लगाकर ही खराब हुई जा रही है। ना - ना आप गलत सोच रहें,, अरे अब मास्क कोरोना नहीं चालान के डर से लगाये जा रहे हैं। 
हाँ जब कोरोना नया नया इस दुनिया में आया था तब चारों ओर उसकी चर्चा बहुत जोर -शोर से हो रही थी। न्यूज चैन पर सिर्फ कोरोना केस की ही खबरें दिखाई जाती थी। तब हमारे देश में थोडे लोग कोरोना से भयभीत हुये थे। फिर लॉकडाउन ने तो कोरोना के भाव बढ़ा दिया। कोरोना की प्रसिध्दि की चर्चा सम्पूर्ण विश्व में होने लगी। कोरोना के भाव इतने बढ़ेगे किसी ने सोचा भी नहीं था। न्यूज चैनल से लेकर  हर सोशल नेटवर्किंग साइट पर कोरोना बहुत दिनों तक ट्रेन्ड करता रहा। उस समय लोग कोरोना से इतना डर गये कि सब्जियाँ भी साबुन से धुली जाती थीं। सैनेटाइजर की तो बात ही मत पूछों। जिन्होंने कभी नाम भी नहीं सुना था कि सैनेटाइजर किस चिड़ाया का नाम है वो भी दस -दस बोतल सैनेटाइजर घर में रखे हुए थे और घर पर पड़े थोड़ी -थोड़ी देर में हाथ में सैनेटाइजर ऐसे रगड कर लगाते थे जैसे कोरोना के साथ हाथ से लकीरें भी मिटा देंगें। कोरोना को हम भारतीयों ने त्यौहार की तरह ही मनाया। पूरे लॉकडाउन हमने किचन में तरह -तरह की चीजे बनाकर आठ -दस किलो वजन भी बढ़ा लिया। विश्व के दूसरे देशों में लोग बचाव कर रहे थे और हमारे यहाँ अचार, पापड़, जलेबी,  समोसा और रसगुल्ले बन रहे थे। लॉकडाऊन का पूरा आनन्द तो हम भारतीयों ने लिया वो भी कोरोना से डरते हुए। 


गोविन्द ने कहा है जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी होगी तो समय के साथ कोरोना का प्रकोप घटा और धीरे -धीरे कोरोना केस में कमी आने लगी। हम जैसे लोगों को लगा कि यमराज कोरोना तक पहुँच गये। इससे उसकी प्रसिध्दि पर बुरा असर पड़ा और न्यूज चैनलों ने उसकी खबरें दिखाना लगभग बन्द ही कर दिया। लोगों के अन्दर से कोरोना का डर भी धीरे -धीरे कम हो गया। लोग बिना मास्क के घर से निकलने लगे और ये जो बार -बार हाथ सैनेटाइज करने की परम्परा शुरू हुई थी उसका पालन करना लोगों ने कम कर दिया। 

इसी बीच कोरोना की वैक्सीन आ गयी का हो - हल्ला भी मच गया। आजकल तो डेली टीकाकरण अभियान चल रहा है। सबके सब कोरोना को विदा करने की कोशिश में लगे हैं लेकिन श्याद अभी कोरोना को धरती छोड़ने की बिल्कुल इच्छा नहीं हैं। वैसे भी इतनी प्रसिध्दि के बाद भला कोई क्यों जाना चाहेगा।

इन सबका नतीजा यह हुआ कि कोरोना महाशय नाराज हो गये। अरे! भाई अर्श से फर्श पर आना किसे अच्छा लगता है। इसी समय कोरोना ने अपने व्यक्तित्व पर गहरा मंथन किया और निष्कर्ष निकाला कि अब मुझे कुछ नया करना होगा नहीं तो लोग मेरी वैल्यू खाँसी, जुकाम और बुखार के बराबर कर देंगे। 

फिर कोरोना जी ने खुद में कुछ बदलाव किये और फिर हाजिर हो गये सबके सामने नये रूप में। हमें जो लग रहा था कि यमराज कोरोना को उठा लेंगें उन्होंनें तो अपना रास्ता ही बदल दिया। जिसका टिकट हमें लग रहा था कन्फर्म लग रहा था वो वेटिंग रह गया। अब आलम ये है कि न्यूज चैनल भी सतर्कता से कोरोना के बढ़ते केस की खबरें चला रहें हैं और लोग फिर से मास्क पहनकर घर के बाहर निकल रहे हैं। वो कहतें हैं ना  "इतना मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाये" तो कोरोना के साथ भी इस समय यही हो रहा लोगों ने अब इसे हल्के में लेना शुरू कर दिया है। सरकार ने चालान के रेट बढ़ा दिये है तो मास्क पहन कर निकलना जरूरी हो गया है। वैसे भी भारत की जनता नियमों का पालन तभी करती है जब पैनाल्टी बड़ी हो। छोटी -मोटी चीजों को भाव देना तो इनकी फितरत ही नहीं हैं। शुरू में तो कोरोना को भी भाव नहीं दिया 

कोरोना के नये स्ट्रेन से भारत में एक बार फिर केस बढ़ने लगे हैं। समय रहते सतर्कता बरतिये सिर्फ चालान के डर से नहीं कोरोना से लड़ने के लिए नियमों का पालन करिये। 

होगा कुछ यूँ एक दिन

                 youtube होगा कुछ यू एक दिन कि  तुम तक कोई नहीं पहुँच पायेगा जो तुम नजदीक आते लोगो से  दूर भाग जाते हो वो  तुमको...