कोरोना की दूसरी लहर ने इस समय देश में तबाही मचा रखी है। श्मशान घाटों पर जगह कम पड़ गयी। लगातार जलती लाशों के कारण भट्टियाँ भी पिघलना शुरू हो गयी हैं। लेकिन असल में तो इन्सान पिघल रहा है। उसकी उम्मीदें और आशायें भी उन भट्टियों में जलते शवों के साथ पिघल रही हैं। आँखों के सामने अपने प्रियजनों को इस तरह से दम तोड़ते देखना किसी सदमें से कम नहीं हैं। इस सदमें से हम श्याद ही कभी उबर पायें। जिस तरह से हॉस्पिटल के बाहर एम्बुलेंस की लाइनें लगी है उससे तो यही लगता है कि कोरोना इस बार किसी को बख्शनें के मूड़ में बिल्कुल नहीं है। देश के हर जिले में हालात हर घंटे बद से बदतर होते होते जा रहे हैं। मौत का आँकड़ा पुराने सारे रिकार्ड तोड़ रहा।
पता नहीं आगे क्या होगा अभी तक कोई भी वैक्सीन सौ फीसदी कोरोना को खत्म करने में सक्षम नहीं हो सकी है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस बार भारत में सम्भावना है कि कोरोना से लाखों जाने जायेगी। सरकार भी नियमों का पालन करने को तो कह रही है लेकिन चुनाव जरूर करवायेगी उसे नहीं टालेगी। सब अपनी जरूरत के हिसाब से चल रहें हैं। बहुत से हास्पिटल और एनजीओ भी इस बुरे दौर में अधिक से अधिक मद्द करने की कोशिश में लगे हैं लेकिन बहुत से स्वार्थी लोग इस मुश्किल वक्त में लोगों की मजबूरियों का फायदा उठा रहें हैं। दो सौ रूपये की दवा के दो हजार रूपये ले रहे हैं आपदा को अवसर में तो सही तरीके से इन्होंनें ही बदला है।
अब लखनऊ की ही बात करते हैं। मेरे पापा की तबियत खराब थी आधी रात को उन्हें लेकर हम लेकर हास्पिटल पहुँचें। डॉक्टर को हमने पापा की नेगेटिव आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट दी तो वो बोल पडे़ हम केजीएमयू की रिपोर्ट नहीं मानते आप हमारे लैब से टेस्ट करवाईये हम आरएमएल की रिपोर्ट वैलिड मानते है और हम अभी इनको एडमिट भी नहीं करेंगें। कल आप लोग यहाँ आकर टेस्ट करवा लीजिए परसों रिपोर्ट नेगेटिव आयी तो हम एडमिट कर लेंगें। इतना बोलकर कुछ दवाई लिख दी और दस मिनट में ढाई हजार का बिल बन गया।
फिर पापा के आॅक्सीजन लेवल को देखकर बोले 94 -95 चल रहा है हो सकता है सुबह तक इनको आॅक्सीजन की कमी हो जाये तो आप लोग व्यवस्था कर लीजिए। इस तरह उन्होंनें हमें डरा दिया कि समझ ही नहीं आ रहा था हम क्या करें। पूरी रात उस समय हमने कैसे गुजारी है हम ही जानते हैं। खैर अगले दिन हमनें पापा का ब्लड टेस्ट करवाया शाम को पता चला उन्हें टायफाइड हुआ है। उसी शाम हमने दूसरे डॉक्टर से बात करके उनके टाइफाइड के इन्जेक्शन घर पर ही लगवाने शुरू कर दिये और अब पापा पूरी तरह से ठीक हैं।
यहाँ लखनऊ में तो ऐसी आपदा के बीच भ्रष्टाचार और कालाबजारी अपने चरम पर है। इस स्थित में लोग लूट और कालबाजारी कर रहें हैं ना ईश्वर उनको जरूर इसकी सजा देगा।
सब लोग अपना और अपनों का ख्याल रखें साथ ही इस चीज का भी ध्यान रखें की कब और किस टेस्ट की कितनी आवश्यकता है। जहाँ जरूरत हो दूसरों की मदद भी करें मोबाइल स्विच आफ करके ना बैठ जाये।
शुरूआत हुई तो सब डरे से थे
कोरोना का नाम सुनकर मरे से थे
सब्जियाँ धुली और हाथ भी धोया
साबुन से बारम्बार
काढ़ा और गरम पानी को
बनाया अपना हथियार
हाथों को सैनेटाइज करके
मिटा दी दो चार रेखा
और कोरोना के डर से
थियेटर का मुँह ना देखा
घर में पड़े -पड़े बोर हुए
लेकिन निकले ना एक भी बार
दो गज की दूरी है जरूरी
कहती है जो ये सरकार
पालन किया सभी नियमों का
फिर भी लटक रही तलवार
चारों तरफ कोरोना ने
मचाई है हाहाकर
ताली बजाई, थाली बजाई
बेमौसम दिवाली मनाई
लेकिन खतरा टला नहीं
आसानी से जाने वाली
ये छोटी सी बला नहीं
सब कुछ कर डाला हमने
फिर कोरोना मरा नहीं
बार -बार ये रूप बदलता
गर्मी, सर्दी, बरसात में
मौसम की मार देख रहा ये
हम इन्सानों के साथ में
ज़िन्दगी को कर दिया बेकार
बन गया कोरोना एक भार
बहुत सहा ये अत्याचार
सब नियम हो गये तार- तार
कोरोना ने कर दिया नया वार
लगा दिया लाशों का अम्बार
हमें घर में फिर बन्द करने को तैयार
कोराना ने लिया नया अवतार
वैक्सीन भी है लड़ने को तैयार
फिर भी नहीं रुक रहा वार
बहुत बढ़ गया अत्याचार
कितना सहें हम बार -बार
कैसे करें इसका उपचार
डॉक्टर भी इसके आगे लाचार
अब तो चले जाओ यार....
आज की दर्दनाक स्थिति में सच को बयान करता आपका आलेख आँखें खोलने वाला है। सब जग स्थिति ऐसी ही भयावह-सी बनी हुई है। आवश्यकता है एहतियात बरतने की। नीचे की कविता भी कोरोना और उससे उत्पन्न स्थिति का सच उगल रही है।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 3012...कहा होगा किसी ने ऐसा भी दौर आएगा... ) पर गुरुवार 29 अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंना जाने कितनी जानें खाकर जाएगा
जवाब देंहटाएंजहाँ जरूरत हो दूसरों की मदद भी करें मोबाइल स्विच आफ करके ना बैठ जाये। ---समय की बात, जिम्मेदारी के साथ आपने कह दी है...।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक विषय पर सार्थक लेख तथा यथार्थपूर्ण कविता ।
जवाब देंहटाएंआपके अनुभव को पढ़कर दिल दहल गया प्रीति जी। साझा करने के लिए आपका आभार। आपके विचार भी अनुकरणीय हैं और कविता भी अच्छी है।
जवाब देंहटाएंसब्र,समझ और एतियात ही इस काल से बचा सकता है। हमारी एक ना समझी,एक लापरवाही बख्सी नहीं जायेगी ,अनुभव को साझा करने के लिए आभार प्रीति जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
हटाएंसबने मान लिया
जवाब देंहटाएंकोरोना को
अपना यार
भूल गए थे
उसके पहले वार
आ गए थे सब
पूरी मौज मस्ती में
देख कर मौका
बदल दिया पैंतरा
गिरगिट को भी
दे रहा मात
अलग अंदाज में
करता है घात ।
काश , आपकी बात मान ले।
काश मैम ऐसा हो जाये क्योंकि स्थिति हर दिन भयावह होती जा रही है
हटाएंसार्थक लेख तथा कविता ।
जवाब देंहटाएंसामायिक विभिषिका और परिस्थितियों पर बहुत सार्थक लेख।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक आलेख और कविता.....
जवाब देंहटाएंयह महामारी एक अभिशाप बनकर आई है लेकिन कुछ लोग इस आपदा में अवसर तलाश कर रहे हैं। यह मानवता के प्रति अपराध है। बहुत कठिन समय है। जितना संभव हो सके, दूसरों की मदद करनी चाहिए।