शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

काशी

               चित्र गूगल से साआभार 

किस्से कहानियों में 
बहुत पढ़ा है काशी को 
तो हम भी काशी जाना चाहते हैं
काशी के घाटों के कुछ दिन के 
हम वासी होना चाहते हैं
महादेव की नगरी में कुछ वक्त बिताना चाहते हैं 
उन तंग गलियों में 
अल्हड़ो की तरह मंडराना चाहते है
काशी की दौड़ती दुनिया में 
हम खुद को खोना चाहते हैं
हम तो बस अपने महादेव के होना चाहते हैं
अपने किये सारे पापों को हम चाहते धोना हैं
सारी समस्याओं को हम गंगा में डुबोना चाहते हैं
जितना कुछ पाया है इस जीवन में 
अब हम वो सब कुछ खोना चाहते हैं
ऐ मणिकर्णिका हम तो बस तेरे ही होना चाहते हैं



2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 14 अगस्त 2021 शाम 4.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर, दिल से निकले इन तरानों के लिये हार्दिक आभार.

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youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि  तुम आओगी तो छत के  इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...