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शनिवार, 13 मार्च 2021

मोबाइलीकरण


हाँ मोबाइलीकरण ही तो हो रहा है जब देखो सब हाथ में मोबाइल लिये उसकी स्क्रीन की तरफ नजर गडा़ये उस पर बार- बार  अपने अगूठे से उसे छूते रहते हैं। जब भी कुछ ढूँढना हो मोबाइल उठाया गूगल पर लिखा और जवाब समाने आ गया। कुछ सालों पहले सोचा ना था कि मोबाइल आने से ज़िन्दगी इतनी सुविधा जनक हो जायेगी और फोर जी की सुविधा ने तो सोने पर सुहागा वाला काम किया। 

अब तो हर सवाल का जवाब चन्द सेंकेंडों में मिल जाता। देश दुनिया में चल रही हर खबर चन्द सेकेण्ड में सब को मिल जाती है। खबरे वारल तो इतनी तेजी होती हैं जितनी तेजी से कभी भंडारे की जगह का भी पता नहीं चलता था। वाह रे मोबाइल की माया और सब को इन्टरनेट ने नचाया। मोबाइल तो इस कदर हमारे लिए जरुरी हो गया है कि उसके बिना हमारा खाना भी हजम नहीं होता। खाना खाने केे पहले  फोटो खींंचना भी एक परम्परा बन गया है।


 


ये सब तो चल ही रहा था कि कोरोना महाराज ने अपनी ग्रैन्ड एन्ट्री मारी और मोबाइल और इन्टरनेट की प्रसिद्ध को एक नये मुकाम तक पहुँचा दिया। 

कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन और अॉनलाइन क्लास के पचड़े ने तो इन्टरनेट कम्पनी वालों की झोली में हर दिन दिवाली वाली खुशी भर दी क्योंकि जहाँ सब खाने के लिये तरस रहे थे वहीं इनकी झोली में हर सेकेण्ड रिचार्ज के पैसे गिर रहे थे। इन्टरनेट डेटा प्रदान करने वाली कम्पनियों के लिए तो कोरोना और लॉकडाउन वरदान साबित हुआ। जहाँ सब कुछ लगभग बन्द हो चुका था वहीं इनका काम एक दम पीक पर था। सबको घर में रहना था अॉनलाइन ही काम करना था तो इन्टरनेट कम्पनियों में खुशियों की बहार आ गयी। दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की भी बढ़ गयी। वहीं घर पर पडे़ निठ्ठले लोग जो इस नुक्कड़ से उस नुक्कड़ आवारागर्दी करते हुए पाये जाते थे उनके पास भी अब काफी समय था तो नाचते, गाते खूब वीडियों बनाये गये।

नतीजा ये हुआ कि बच्चों से लेकर बड़े तक हम सब मोबाइल के आदी हो गये हैं। बच्चे भी किताब से ज्यादा इन्टरनेट में किसी भी चीज को ढूँढने को महत्व देने लगे हैं। अब तो आलम ये है कि रात में सोने के पहले और सुबह उठते ही मोबाइल हाथ में नजर आता है। जिसके बिस्तर के पास चार्जिंग प्वांइट है उसे तो समझो स्वर्ग प्राप्त हो गया। आखिर इतनी अच्छी किस्मत सबको कहाँ मिलती है एक ही जगह पूर दिन पड़े रहो मोबाइल कीबैटरी खत्म हो फिर भी उठकर चार्ज करने जाने की मेहनत तो नहीं करनी पड़ेगी।

अगर यही हाल रहा तो ज़िन्दगी बद से बदतर होती जायेगी। अपनी ज़िन्दगी में चरस बोने वाले हम स्वंय होगे।अभी ज्यादा देर नहीं हुई हमें सम्भल जाना चाहिए नहीं तो कल को ज़िन्दगी में आने वाली हर परिस्थिति को समझने में मोबाइल काम नहीं आयेगा। 

बुधवार, 3 मार्च 2021

कशमकश

कल तुम्हारा कॉल आया था। रिंगटोन सुनते ही मेेेेरे हाथ मोबाइल की तरफ बढ़े लेकिन तुम्हारा नाम पढ़कर अनायास ही पीछे हट गये, आँखें आसूँओं से डबडबा गयी। एक बार दिल किया कि कॉल रिसीव कर लूँ लेकिन फिर दिमाग ने ना कह दिया। दिल और दिमाग की कशमकश में दिमाग जीत गया और रिंगटोन की आवाज बन्द हो गयी। कुछ सेकेण्ड बाद फिर से कॉल आयी और एक बार फिर तुम्हारा नाम मोबाइल स्क्रीन पर चमकने लगा। मेरे हाथ मोबाइल के पास जाकर लौट आये। उगलियाँ अपने आप पीछे हो गयी। लेकिन फिर इस बार हिम्मत जबाव दे गयी और मोबाइल उठाकर मैंनें स्विच अॉफ कर दिया। जानते हो तुम्हारी कॉल का इन्तजार मैं कब से कर रही थी लेकिन देखो कॉल आयी और कट भी गयी। आज ना जाने किस खास वजह से तुमने मुझे कॉल किया था लेकिन वो वजह अब श्याद मेरे लिये बेवजह है। तुम्हारा नम्बर अभी तक सेव है मेरे मोबाइल,,, क्या करूँ डिलीट नहीं कर पाई वैसे तुमने तो मुझे अपनी ज़िन्दगी से कब का डिलीट कर दिया है। 
इतना लिखते ही उसकेआँखों से कई बूँद आसूँ  निकलकर उस पन्ने को भिगो गया... 

थोडी़ सी शाम

youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि  तुम आओगी तो छत के  इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...