एक शाम यही पहाड़ों पर
तुम संग आना चाहता हूँ
कुछ घंटें सूकून भरे
तुम संग बिताना चाहता हूँ
इसी बेंच पर तुम्हारा हाथ पकड़
अनगित बातें करनी है
इस ठंडी हवा की छुवन को
मैं तुम संग महसूस करना चाहता हूँ
सिन्दूरी शाम की आहट में
चिड़ियों की चहचहाहट देखनी है
एहसासों की पोटली खोलनी हैं
उम्मीदों की उड़ान भरनी है
डूबते सूरज की रंगीन आभा
में तुम संग रंग जाना चाहता हूँ
कुछ कहना नहीं चाहता बस
बस खामोश रहना चाहता हूँ
एक शाम यही पहाड़ो पर
तुम संग आना चाहता हूँ
ज़िन्दगी के कुछ पल
यही बिताना चाहता हूँ......