चित्र गूगल से साआभार
आज नहीं तो कल नींद आ ही जायेगी
ये रोते बिलखते लोगों की चीखें
उनकी साँसों को खा ही जायेंगी
कब तक लड़ेगे ये खाली हाथ
बात तो गुलामी तक आ ही जायेगी
जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होगा
संकुचित विचारधारा में जीना
अब इनको सीखना होगा
अगर आज बच जायेगे तो
कल सबको बन्दूकों चलना भी सीखना होगा
गुमनामी की ज़िन्दगी कैसे जियेंगें
अंधकार में जाते भविष्य को कैसे सीयेगे
ऐसे विनाशकों के बीच कैसे जियेंगें...
संकुचित विचारधारा में जीना
जवाब देंहटाएंअब इनको सीखना होगा
अगर आज बच जायेगे तो
कल सबको बन्दूकों चलना भी सीखना होगा
दार्दिक..
सादर..
प्रश्न पर प्रश्न ..... बस सोच कुंद है ..... दहशत है । न जाने आगे क्या होना है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं𝐇𝐞𝐚𝐫𝐭 𝐓𝐨𝐮𝐜𝐡𝐢𝐧𝐠 𝐩𝐨𝐞𝐦.
जवाब देंहटाएंइस दहशत का संम करने के लिए अपने समाज को खड़े होना होगा .. धर्म से आगे सोचना होगा ... सभी को ... सभी को ...
जवाब देंहटाएं𝐇𝐞𝐚𝐫𝐭 𝐓𝐨𝐮𝐜𝐡𝐢𝐧𝐠
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