रविवार, 21 मार्च 2021

खूबसूरत शाम

एक शाम यही पहाड़ों पर
तुम संग आना चाहता हूँ 
कुछ घंटें सूकून भरे 
तुम संग बिताना चाहता हूँ 
इसी बेंच पर तुम्हारा हाथ पकड़ 
अनगित बातें करनी है
इस ठंडी हवा की छुवन को 
मैं तुम संग महसूस करना चाहता हूँ 
सिन्दूरी शाम की आहट में 
चिड़ियों की चहचहाहट देखनी है
एहसासों की पोटली खोलनी हैं 
उम्मीदों की उड़ान भरनी है
डूबते सूरज की रंगीन आभा 
में तुम संग रंग जाना चाहता हूँ 
कुछ कहना नहीं चाहता बस 
बस खामोश रहना चाहता हूँ 
एक शाम यही पहाड़ो पर 
तुम संग आना चाहता हूँ 
ज़िन्दगी के कुछ पल 
यही बिताना चाहता हूँ...... 
 

22 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच बहुत सुन्दर अच्छी रचना है । बहुत बहुत शुभ कामनाएं

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  2. अनुराग भरी सुंदर रचना प्रिय प्रीति जी | हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए |

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  3. बहुत अच्छी प्रेम कविता।हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. डूबते सूरज की रंगीन आभा
    में तुम संग रंग जाना चाहता हूँ
    कुछ कहना नहीं चाहता बस
    बस खामोश रहना चाहता हूँ
    एक शाम यही पहाड़ो पर
    तुम संग आना चाहता हूँ
    बहुत सुंदर
    सादर..

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  5. फालोव्हर का गेजेट लगाइए
    वर्ड व्हेरिफिकेशन हटा दीजिए
    सादर..

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  6. बहुत अनुराग भरे ख़याल ... सुन्दर ब्लॉग है आपका ... लेकिन कहीं भी फॉलो करने की सूरत नहीं दिखाई दे रही ... यदि आप फॉलो करने वाला गैजेट लगा लें तो पाठकों को सुविधा हो जाएगी ...

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  7. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 24 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  8. कितनी सुन्दर रोमान्टिक कविता❤️❤️

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  9. बहुत ही गहरी रचना है, खूब बधाई।

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  10. उव्वाहहहह
    सुंदर रचना..
    आभार..
    सादर..

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  11. बहुत ही अच्छा लिखती हो आप। ब्लॉग जगत में हार्दिक स्वागत है आपका। मैने आपके ब्लॉग को फोलो भी किया है।।।।

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  12. पगला मत जाइयो
    पढ़ते रहियो
    नया कुछ और भी
    लिखते रहियो
    सादर

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  13. जी सुझाव के लिए धन्यवाद और कुछ नया लिख दिया है।
    मैं प्रतिलिपी पर अपनी लिखी कहानियाँ क्या यहाँ पोस्ट कर सकती हूँ???

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  14. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२९-०३-२०२१) को 'एक दिन छुट्टी वाला'(चर्चा अंक-४०२०) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  15. धन्यवाद सर
    आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  16. बहुत सुंदर दिल को छू लेने वाली, दिल में उतर जाने वाली रचना!
    इसी बेंच पर तुम्हारा हाथ पकड़
    अनगित बातें करनी है
    इस ठंडी हवा की छुवन को
    मैं तुम संग महसूस करना चाहता हूँ

    होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ

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  17. धन्यवाद सर आपको भी होली की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  18. "सिंदूरी शाम" वाह क्या कल्पना है बहुत ही सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं

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