एक शाम यही पहाड़ों पर
तुम संग आना चाहता हूँ
कुछ घंटें सूकून भरे
तुम संग बिताना चाहता हूँ
इसी बेंच पर तुम्हारा हाथ पकड़
अनगित बातें करनी है
इस ठंडी हवा की छुवन को
मैं तुम संग महसूस करना चाहता हूँ
सिन्दूरी शाम की आहट में
चिड़ियों की चहचहाहट देखनी है
एहसासों की पोटली खोलनी हैं
उम्मीदों की उड़ान भरनी है
डूबते सूरज की रंगीन आभा
में तुम संग रंग जाना चाहता हूँ
कुछ कहना नहीं चाहता बस
बस खामोश रहना चाहता हूँ
एक शाम यही पहाड़ो पर
तुम संग आना चाहता हूँ
ज़िन्दगी के कुछ पल
यही बिताना चाहता हूँ......
सचमुच बहुत सुन्दर अच्छी रचना है । बहुत बहुत शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंअनुराग भरी सुंदर रचना प्रिय प्रीति जी | हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
हटाएंबहुत अच्छी प्रेम कविता।हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंडूबते सूरज की रंगीन आभा
जवाब देंहटाएंमें तुम संग रंग जाना चाहता हूँ
कुछ कहना नहीं चाहता बस
बस खामोश रहना चाहता हूँ
एक शाम यही पहाड़ो पर
तुम संग आना चाहता हूँ
बहुत सुंदर
सादर..
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंफालोव्हर का गेजेट लगाइए
जवाब देंहटाएंवर्ड व्हेरिफिकेशन हटा दीजिए
सादर..
अब बदल दिया सुझाव के लिए आभार मैम
हटाएंबहुत अनुराग भरे ख़याल ... सुन्दर ब्लॉग है आपका ... लेकिन कहीं भी फॉलो करने की सूरत नहीं दिखाई दे रही ... यदि आप फॉलो करने वाला गैजेट लगा लें तो पाठकों को सुविधा हो जाएगी ...
जवाब देंहटाएंआभार मैम
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 24 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार मैम
हटाएंकितनी सुन्दर रोमान्टिक कविता❤️❤️
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
हटाएंबहुत ही गहरी रचना है, खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंशुक्रिया , फॉलो कर के जा रही हूँ ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
हटाएंउव्वाहहहह
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना..
आभार..
सादर..
धन्यवाद सर
हटाएंबहुत ही अच्छा लिखती हो आप। ब्लॉग जगत में हार्दिक स्वागत है आपका। मैने आपके ब्लॉग को फोलो भी किया है।।।।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंपगला मत जाइयो
जवाब देंहटाएंपढ़ते रहियो
नया कुछ और भी
लिखते रहियो
सादर
जी सुझाव के लिए धन्यवाद और कुछ नया लिख दिया है।
जवाब देंहटाएंमैं प्रतिलिपी पर अपनी लिखी कहानियाँ क्या यहाँ पोस्ट कर सकती हूँ???
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२९-०३-२०२१) को 'एक दिन छुट्टी वाला'(चर्चा अंक-४०२०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
धन्यवाद मैम
हटाएंवाह, बहुत बढ़िया 👌🌻
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंमुग्ध करती रचना - - होली की शुभकामनाओं सह।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंआपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत सुंदर दिल को छू लेने वाली, दिल में उतर जाने वाली रचना!
हटाएंइसी बेंच पर तुम्हारा हाथ पकड़
अनगित बातें करनी है
इस ठंडी हवा की छुवन को
मैं तुम संग महसूस करना चाहता हूँ
होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ
धन्यवाद सर आपको भी होली की शुभकामनाएँ
हटाएं"सिंदूरी शाम" वाह क्या कल्पना है बहुत ही सुंदर रचना
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