चित्र -गूगल से साआभार
मुझमें मैं नहीं रह गया
बस तुम ही समाये हो
जीवन में फैली निराशा तो
बस तुम ही याद आये हो
इस विपत्ति की घड़ी में
गोविन्द अब तो आ जाओ
इस संकट के निकलने का
कोई मार्ग तो सुझाओ
कितना तड़प रहें सब
कुछ तो इसका हल बतलाओ
इस संकट की स्थिति को
गोविंद अब तुम ही निपटाओ
हर क्षण खत्म हो रहे जीवन में
आशा की एक किरण दिखाओ
तिल -तिल मरते लोगों को
तुम जीवन दान का उपहार दे जाओ
मृत्यु के तांडव को रोककर
उम्मीदों के की नाव चलाओ
सब को उसमें बैठाकर तुम
इस संकट से पार लगाओ
अब मत देर करो गोविन्द
बस जल्दी से आ जाओ
निस्तेज हो रहे जीवन को
तुम अपने तेज से भर जाओ...