शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

काशी

               चित्र गूगल से साआभार 

किस्से कहानियों में 
बहुत पढ़ा है काशी को 
तो हम भी काशी जाना चाहते हैं
काशी के घाटों के कुछ दिन के 
हम वासी होना चाहते हैं
महादेव की नगरी में कुछ वक्त बिताना चाहते हैं 
उन तंग गलियों में 
अल्हड़ो की तरह मंडराना चाहते है
काशी की दौड़ती दुनिया में 
हम खुद को खोना चाहते हैं
हम तो बस अपने महादेव के होना चाहते हैं
अपने किये सारे पापों को हम चाहते धोना हैं
सारी समस्याओं को हम गंगा में डुबोना चाहते हैं
जितना कुछ पाया है इस जीवन में 
अब हम वो सब कुछ खोना चाहते हैं
ऐ मणिकर्णिका हम तो बस तेरे ही होना चाहते हैं



शनिवार, 26 जून 2021

अंजुरी भर धूप

             चित्र - गूगल साआभार


जब तुम्हारे जीवन में समस्याएं आयेगी
निराशा तुम पर हावी हो जायेगी
चारो ओर बस अन्धकार ही होगा 
जब तुम्हारा आत्मविश्वास 
टूट कर चकनाचूर हो जायेगा
और तुम इस अर्न्तद्वद से 
निकलने की कोशिश में छटपटाओगे 
बार -बार जीतने की कोशिश में
जब हार जाओगे 
तब मैं आऊँगा तुम्हारी मदद को
आशा की ज्योति मैं जगाउँगा
मैं भेज दूँगा अंजुरी भर धूप 
जिससे तुम्हारे जीवन को मिलेगा नया रूप
नये रास्ते पर चलने का साहस मिलेगा
और मिलेगी नयी उर्जा,उत्साह 
जो तुम्हें अँधेरे से निकालकर 
रौशनी में ले आयेगा
और तुम्हारे आत्मविश्वास को 
दोगुना बढ़ा जायेगा फिर 
मन में चल रहे विचारों 
को दिशा मिल जायेगी 
बस तुम लड़ते रहना,हारना मत 
मैं भेज दूँगा अंजुरी भर धूप 
तुम्हारे जीवन को रोशन करने के लिए 
तुम घबराना मत .... 

मंगलवार, 22 जून 2021

नदी

                  चित्र -गूगल साअभार 

निकल पडी गन्तव्य को अपने तुम्हें दूर है जाना 
संघर्षों के पथ को तुमने अपना जीवन माना 
पग-पग पर तुम टकराती हो जीवन की सच्चाई से
तोड़ के सारी बाधाओं को चलती तुम अलसाई सी
माना कि तुम थकी बहुत हो, पर तुम्हें दूर है जाना 
कदम दो कदम सुस्ता लो फिर तेजी से बढ़ जाना 
करो परिश्रम आगे बढो तुम, मंजिल अभी दूर है 
इतना लम्बा रास्ता है कि तुम छाया सुरुर है 
कहाँ तुम्हारी मंजिल है ये मैने अब पहचाना 
सागर से मिलने को चली तुम ये मैंनें है जाना....

सोमवार, 17 मई 2021

अर्जुन की मनोदशा

                        चित्र गूगल से साआभार 

कविता लिखने में मेरा हाथ अभी काफी तंग है। 
इस छोटी सी कविता के माध्यम से मैंनें महाभारत के युध्द के समय कुरूक्षेत्र में खड़े अर्जुन के मन में व्याप्त संशय और गोविन्द द्वारा उसके निदान को दिखाने की छोटी सी कोशिश की है। 

ये माधव तुम ही बतालाओ
कैसे ये कर जाऊँ मैं
कैसे इन पर बाण चला दूँ 
जिनका ही गुण गाऊँ मैं 
कैसै लड़ जाऊँ इन सबसे 
इन सबका मैं प्यारा हूँ
जिन हाथों ने चलना सिखाया 
उनका मैं हत्यारा बनूँ
इतनी सारी हत्याओं का
 बोझ मैं कैसे उठाऊँगा 
जीवन दूभर हो जायेगा मेरा 
अगर इस युध्द में जीवित रह जाऊँगा
हे! माधव इस विकट परिस्थिति में
तुम ही राह दिखाओ
मेरे हाथ उठेगे ना 
अब तुम ही इसे सुलझाओ
उठो पार्थ तुम शस्त्र उठा लो 
इन सब पर तुम वार करो 
अपनी करनी भुगत रहें सब 
इनका तुम संहार करो 
माना बहुत कठिन है ये 
पर तुम अभी ये काम करो 
जिन कन्धों पर कभी खेले थे
उन्हीं को लहूलुहान करो
धर्म से बन्धे लोग
अधर्म की राह पर चल रहें हैं 
उचित अनुचित जानकर भी 
सब आँख मूँदकर चल रहें
इनकी चुप्पी के कारण ही 
इतना बड़ा अधर्म हुआ 
सब मूक खड़े थे सभा में 
जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ 
दुर्योधन से ज्यादा तो ये सब ही दोषी हैं
इनके संरक्षण के कारण ही आज स्थिति ऐसी है
सुनो पार्थ अब धर्म की खातिर 
तुमको शस्त्र उठाना होगा 
मोहपाश को छोड़कर तुमको 
अपना कर्तव्य निभाना होगा 
अपने गांडीव से तुमको सबको मार गिराना होगा...

बुधवार, 12 मई 2021

मरती इंसानियत

      
                                चित्र -गूगल से साआभार

"डॉक्टर मेरी मम्मी की हालत बहुत खराब है प्लीज एडमिट कर लीजिए"

डॉक्टर "इनका आरटी पीसीआर करवाया आपने"

"जी पॉजिटिव है,, आज शाम ही रिपोर्ट आयी है और इनकी तबियत भी काफी खराब हो गयी है"

डॉक्टर "देखिये हमारे पास बेड तो है नहीं लेकिन आप कुछ एक्सट्रा पैसे दे तो हम देखेंगें कुछ हो सका तो "

"डाॅक्टर प्लीज आप बेड अरेन्ज करके इलाज करिये पैसे हम सारे भर देगें"

डाॅक्टर "वार्ड बॉय इनको वार्ड नम्बर 5 मे एडमिट कर दीजिए" और लड़के की तरफ देखकर "आप आॅक्सीजन सिलेन्डर का भी इन्तजाम कर लीजिए हमारे पास ज्यादा आॅक्सीजन है नहीं "

लड़का "जी ठीक "

वो एक तरफ अपनी माँ को एडमिट करवाके आॅक्सीजन सिलेंडर लेने भाग। बड़ी मुश्किल से पैसों का इन्तजाम करके एक सिलेन्डर 30000 में ले आया। पैसों की बड़ी समस्या थी लेकिन किसी तरह इन्तजाम कर लिया आखिर माँ की जान पर बन आयी थी। 

अगले दिन माँ का अॉक्सीजन लेवल गिरा तो सिलेन्डर ने माँ की साँसें उखड़ने से बचा ली ये देखकर उसकी जान में जान आयी और इतना पैसा लगाना भी काम आ गया। 
इसी बीच डॉक्टर आये और लड़के से बोले "इन्हें रेमेडिसिविर के इन्जेक्शन लगाने होंगें और हमारे पास सारे इन्जेक्शन खत्म हो चुके हैं तो तुम बाहर से खरीद लाओ"

लड़का फिर से मेडिकल स्टोर के चक्कर काटने लगा। लगभग 15 मेडिकल स्टोर पर दौड़भाग करने के बाद किसी के बताने पर वो एक मेडिकल स्टोर पर पहुँचा और बोला "भईया रेमडिसिविर इन्जेक्शन दे दो"

मेडिकल स्टोर वाले ने उसकी तरफ तिरछी निगाहों से देखा और बोला "एक ही तो बचा है" और दूसरी साइड खड़े आदमी की ओर इशारा करके बोला "ये पन्द्रह हजार दे रहे हैं,, लेकिन तुम सोलह दे दो तो तुम ले जाओ"

इन्जेक्शन का दाम सुनकर लड़के के चेहरे पर निराशा फैल गयी। उसने जल्दी से अपने जेब से अपना पर्स निकला और उसमें रखे पैसे गिनने लगा। कुल मिलाकर 6 हजार रूपये थे उसके पास। 

तुरन्त ही उसने एक दो जगह कॉल किया लेकिन कुछ इन्तजाम नहीं हुआ। फिर उसने आशा भरी नजरों से मेडिकल स्टोर वाले को को देखा और बोला "भईया प्लीज मेरी मम्मी की तबियत बहुत खराब है और अभी मेरे पास सिर्फ 6 हजार रूपये ही बचे हैं। आप मुझे इन्जेक्शन दे दो ना.... मैं बाकी के पैसे भी आपको दो चार दिन में दे दूँगा"

मेडिकल स्टोर वाला "हाँ.. हाँ मैं तो यहाँ खैरात बाट रहा हूँ ना...जाओ पूरे पैसे लेकर आओ और इन्जेक्शन ले जाओ"

लड़का वहाँ से जल्दी से किसी रिश्तेदार के घर की तरफ भागा। अभी वो आधे रास्ते में ही था कि हॉस्पिटल से फोन आया कि उसकी माँ की साँसे चलना बन्द हो गयी हैं। उसकी माँ चली गयी। इतना सुनते ही लड़के के तो हाथ पैर सुन्न पड़ गये। 

कुछ देर बाद खुद को सम्भाल कर वो बेचारा किसी तरह वहाँ से वापस हॉस्पिटल आया और उनके अन्तिम संस्कार की तैयारी में लग गया। जान पहचान और रिश्तेदार तो कोरोना की वजह से पहले ही पीछे हट गये। जब वो श्मशान घाट पहुँचा तो वहाँ भी उसका नम्बर दस लोगों के बाद था। 

ऐसी हालत में बेचारा क्या करता फिर से लाइन में लगकर अपनी बारी का इन्तजार करने लगा...

ऐसे ही ना जाने कितने लोग लाइन में लगे हैं किसी को हास्पिटल में बेड चाहिए, किसी को दवा,  किसी को अॉक्सीजन तो किसी को श्मशान घाट पर जगह लेकिन कालाबाजारी और भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। ऐसी हालत में भी लोग महिलाओं से हॉस्पिटल में भी छेड़छाड़ करने से बाज नहीं आ रहे। 
 इन्सान अब इन्सान नहीं गिध्द हो गया है ऐसा गिध्द जो जीवित लोगों को नोच -नोचकर खाने के तैयार खड़ा है... 

थोडी़ सी शाम

youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि  तुम आओगी तो छत के  इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...