गुरुवार, 4 मार्च 2021

उम्मीद की किरण

 ज़िन्दगी हर दिन कुछ ना कुछ लेकर आती है। कुछ चीजें हमारे मन मुताबिक होती हैं तो कुछ एकदम उलट। कभी -कभी ऐसा भी वक्त आता है जब निराशा और हताशा हमें चारों ओर से  घेर लेती है। चारों तरफ अन्धेरा ही नजर आता है। उस समय महसूस होता है कि बस अब हमारी ज़िन्दगी में कुछ नहीं बचा, हमारी जिन्दगी बर्बाद हो गयी। यही समय होता है हमें खुद को पहचानने का,  उस एक वजह को ढूँढने का जो हमें निराशा से आशा की ओर ले जायेगा। यकीन मनिये यही वह वक्त होता है जब हम कोशिश करें तो ऐसा निखरकर बाहर आयेंगें कि हमें बिखेरने वाले के हाथ पछतावा ही आयेगा और वो हमारी जीत होगी... ऐसी जीत जो जीवन के किसी पथ पर हमें हारने नहीं देगी। 

कहीं पढ़ा था few bad chapters doesn't mean you're story is over यानी बुरा समय आने का मतलब ये नहीं है कि आप हार मान जाओ, उठो और लड़ो क्योंकि गिरना और उठना ये तो हम बचपन से ही सीखते हैं। पहली बार चलने की कोशिश में भी ना जाने कितनी बार हम लड़खड़ाते और गिरते हैं पर अन्त में हम चलना सीख ही जाते हैं उसी तरह हमें हर मुश्किल से लड़ने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

बुधवार, 3 मार्च 2021

कशमकश

कल तुम्हारा कॉल आया था। रिंगटोन सुनते ही मेेेेरे हाथ मोबाइल की तरफ बढ़े लेकिन तुम्हारा नाम पढ़कर अनायास ही पीछे हट गये, आँखें आसूँओं से डबडबा गयी। एक बार दिल किया कि कॉल रिसीव कर लूँ लेकिन फिर दिमाग ने ना कह दिया। दिल और दिमाग की कशमकश में दिमाग जीत गया और रिंगटोन की आवाज बन्द हो गयी। कुछ सेकेण्ड बाद फिर से कॉल आयी और एक बार फिर तुम्हारा नाम मोबाइल स्क्रीन पर चमकने लगा। मेरे हाथ मोबाइल के पास जाकर लौट आये। उगलियाँ अपने आप पीछे हो गयी। लेकिन फिर इस बार हिम्मत जबाव दे गयी और मोबाइल उठाकर मैंनें स्विच अॉफ कर दिया। जानते हो तुम्हारी कॉल का इन्तजार मैं कब से कर रही थी लेकिन देखो कॉल आयी और कट भी गयी। आज ना जाने किस खास वजह से तुमने मुझे कॉल किया था लेकिन वो वजह अब श्याद मेरे लिये बेवजह है। तुम्हारा नम्बर अभी तक सेव है मेरे मोबाइल,,, क्या करूँ डिलीट नहीं कर पाई वैसे तुमने तो मुझे अपनी ज़िन्दगी से कब का डिलीट कर दिया है। 
इतना लिखते ही उसकेआँखों से कई बूँद आसूँ  निकलकर उस पन्ने को भिगो गया... 

मंगलवार, 2 मार्च 2021

कैदी यादों के

कैदी.. हाँ हम कैदी ही तो हैं किसी ना किसी की यादों के, कुछ टूटी तो कुछ छूटी उम्मीदों के कुछ आधे -अधूरे ख्वाबों के, कुछ झूठे रह गये वादों के...
हम सब कैद से निकलने का भरसक प्रयास कर रहे हैं लेकिन क्या हम कभी इस कैद से आजाद हो पायेगे? 
 बड़ा मुश्किल हो जाता है यादों के कैद से निकलना और जीवन में बार ऐसे पल आते हैं जब हम ना चाहकर भी यादों के भँवर में फँसकर रह जाते हैं। 
पर मुझे लगता है कभी -कभी यादों का कैदी होना बुरा नहीं होता... क्योंकि यही हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती है.. 

कायर

समस्याओं से लड़कर ही हम 

बार -बार गिर पड़ते है

गिरकर उठना, उठकर गिरना 

कितना मुश्किल होता है

हमसे पूछो मुसीबत में 

कौन -कितना किसका होता है पर, 

हम वो कायर लोग नहीं जो 

चलने से डरते हैं

हम वो कायर लोग नहीं जो 

मजबूर होकर मरते हैं

हम तो वो मजबूत पेड़ हैं जो 

दिन प्रतिदिन बढ़ते हैं

पत्थरों को तोड़कर कर 

हम पानी से बहते हैं

हम वो बुजदिल लोग नहीं 

जो चलने से डरते हैं


थोडी़ सी शाम

youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि  तुम आओगी तो छत के  इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...