शनिवार, 1 मई 2021

गोविंद अब तो आ जाओ.....

                     चित्र -गूगल से साआभार

मुझमें मैं नहीं रह गया 
बस तुम ही समाये हो 
जीवन में फैली निराशा तो 
बस तुम ही याद आये हो
इस विपत्ति की घड़ी में 
गोविन्द अब तो आ जाओ
इस संकट के निकलने का 
कोई मार्ग तो सुझाओ
कितना तड़प रहें सब 
कुछ तो इसका हल बतलाओ
इस संकट की स्थिति को
गोविंद अब तुम ही निपटाओ
हर क्षण खत्म हो रहे जीवन में
आशा की एक किरण दिखाओ 
तिल -तिल मरते लोगों को 
तुम जीवन दान का उपहार दे जाओ 
मृत्यु के तांडव को रोककर 
उम्मीदों के की नाव चलाओ
सब को उसमें बैठाकर तुम 
इस संकट से पार लगाओ 
अब मत देर करो गोविन्द 
बस जल्दी से आ जाओ 
निस्तेज हो रहे जीवन को 
तुम अपने तेज से भर जाओ...

14 टिप्‍पणियां:

  1. आस्था में विश्वास तो जो हो रहा वो सब गोविंद का रचा खेल है ।
    भावपूर्ण आह्वान ।

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  2. संकट के समय ईश्वर का ही स्मरण रह जाता है, और सार्थक भी है, सुन्दर रचना।

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  3. आपकी लिखी कोई रचना सोमवार 3 मई 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. प्रिय प्रीति, बहुत ही सुंदर प्यारी सी प्रार्थना गोविंद से। बस , यह पुकार सुन कर गोविंद आ जाएं और इस पृथ्वी की सारी पीड़ा हर लें ।
    मुझे आपको यहाँ देख कर बहुत खुशी हो रही है क्यूंकी मैं भी एक विद्यार्थी हूँ। कभी मेरे ब्लॉग पर भी आना , हम लोग दोस्त बन सकते हैं ।

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  5. प्रथम और अंतिम आश्रय गोविंद ही! भावपूर्ण
    आह्वान मुरलीधर के नाम। हार्दिक शुभकामनाएं प्रीति जी 💕❤🌹🌹

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  6. बस अब गोविंद का ही सहारा है...
    बहुत ही भावपूर्ण प्रार्थना।

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  7. वही तो एक आश्रय है हर किसी का, उसका साथ बना रहे जो जिंदगी संवर जाए ...
    प्रार्थना के स्वर है ये रचना ...

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