हम सब कैद से निकलने का भरसक प्रयास कर रहे हैं लेकिन क्या हम कभी इस कैद से आजाद हो पायेगे?
बड़ा मुश्किल हो जाता है यादों के कैद से निकलना और जीवन में बार ऐसे पल आते हैं जब हम ना चाहकर भी यादों के भँवर में फँसकर रह जाते हैं।
समस्याओं से लड़कर ही हम
बार -बार गिर पड़ते है
गिरकर उठना, उठकर गिरना
हमसे पूछो मुसीबत में
कौन -कितना किसका होता है पर,
हम वो कायर लोग नहीं जो
चलने से डरते हैं
हम वो कायर लोग नहीं जो
मजबूर होकर मरते हैं
हम तो वो मजबूत पेड़ हैं जो
दिन प्रतिदिन बढ़ते हैं
पत्थरों को तोड़कर कर
हम पानी से बहते हैं
हम वो बुजदिल लोग नहीं
जो चलने से डरते हैं
youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि तुम आओगी तो छत के इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...