तोहफ़ा 
आज देखा मैंनें तुम्हें 
जब तुम शीशे के सामने बैठी
अपने बालों को 
सुलझाने की कोशिश कर रही थी
और फिर अचानक ही तुम 
वहाँ उसे उठकर गयी 
और डायरी निकालकर उसमें रखा 
गुलाब  देखकर मुस्कराते हुए 
जिस तरह तुम गुलाबी हो गयी 
उस वक्त मुझे लगा कि 
ईश्वर ने फूलों की रचना करने से पहले
क्या इतना विचार ही किया होगा कि 
वो एक ऐसे तोहफे का निर्माण कर रहा है 
जो खिले हुई स्थिति से लेकर 
मुरझाने के बाद भी जीवन को महकाता रहेगा
गालों पर लालिमा और 
होंठें पर मुस्कान लाता रहेगा
खुद सूख जायेगा लेकिन 
यादों की ताजगी बचाता रहेगा .. 
 
   
 
 
 
 
वाह❤️
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमैंने भी प्रतिक्रिया लिखी थी शायद.स्पेम में कृपया देखिकर पब्लिश कर.दीजिए न प्रीति जी।
जवाब देंहटाएंसादर।
मैम स्पैम का अॉपशन कहा पर आता है मुझे नहीं पता
हटाएंडैश बोर्ड पर जाइये । वहाँ स्टेटस , पोस्ट , कमेंट्स आदि दिखाई देंगे । कमेंट्स को क्लिक कीजिए तो सारे कमेंट्स दिख जाएंगे । जो पब्लिश न हों उनको पब्लिश कर दें ।
हटाएंthank you so much maam help ke liye
हटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैडम
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