शनिवार, 28 अगस्त 2021

बेड़ियाँ

             
            चित्र -गूगल साआभार 

मैंनें कभी कल्पना भी नहीं की थी कि अपने जीवन में ऐसा समय देखने को मिलेगा कि एक आतंकवादी संगठन किसी देश पर कब्जा भी कर सकता है लेकिन बिना कल्पना के ये हकीकत देखने को मिल गयी। अब गलती अमेरिका की है या अफगानिस्तान की बुजदिल सेना और वहाँ की सरकार कहकर क्या ही फायदा होगा क्योंकि भुगत तो वहाँ की आवाम रही है। 
जिस आसानी ने तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया वह मुझे तो काफी चौकाने वाला लगा। अगर अमेरिका पीछे हट भी गया था तो भी आखिर तक अफगानिस्तान को अपनी देश और अपने लोगों की रक्षा के लिए लड़ना था यू भगाना और आत्मसमर्पण तो नहीं करना था.... क्योंकि इस कायरना हरकत से भी जनता जितना भुगत रही है युध्द होता तो श्याद कम ही भुगतती। अगर लड़ने पर हालत इससे ज्यादा खराब हो भी जाते तो भी मन के एक कोने में उनके ये तो रहता कि हमारी आर्मी और सरकार ने हमें बचाने की भरपूर कोशिश की। इस स्थिति में संकट तो पूरी जनता पर ही है लेकिन महिलाओं के लिए तालिबान के साये में रहना नरक भुगतना है। महिलाओं के लिए तो अपनी इच्छा से साँस लेना भी हराम हो जायेगा। तालिबान महिलाओं को इन्सान नहीं समान समझता है तो उनकी स्थिति तो बद से बदतर ही हो जायेगी। 


अफगानिस्तान की जानता जनती है कि गुलामी में जीना क्या होता है,, अंताकवाद किस तरह से सब का जीवन  बर्बाद कर देता है...क्योंकि इसके पहले भी वो तालिबान की क्रूरता सह चुके हैं इसीलिए आज अपना देश तक छोड़कर जाने को आतुर हैं। अब बेचारे कहाँ जायेगे इनको खुद नहीं पता बस अफगानिस्तान से निकलने के हर सम्भव प्रयास में लगे हैं क्योंकि गुलामी किसी को रास नहीं आती। अब अपने और अपनों को अंताकवाद के साये से दूर रखने की भरपूर कोशिश में ना जाने कितने मारे जायेंगें... क्योंकि तालिबान इतनी आसानी से किसी को देश छोड़ने देगा ये असम्भव है.... 


अराजकता का एक दौर चल रहा था 
इन्सान हर पल खौफ के साये में जी रहा है
वतन छोड़कर भागने की होड सी लगी है
तालिबान से बचने की दौड़ सी लगी है
कितने बच पायेगे ये तो ईश्वर ही जानता है
साँसे चलती रही तब तो संकट ही है
अब तो थम जाये तो ही कुछ फायदा है 
यू मर -मरकर जीना किसे रास आता है
आतंकवाद और बन्दूकों के बीच 
जीना किसे रास आता है
समझ नहीं आता इन्होंनें हार क्यों मान ली
अन्त तक लड़कर अपने देश को बचाना था इन्हें 
अपने ही बीच छुपे गद्दारों को निपटाना था इन्हें 
अब इनकी गलती का परिणाम पूरी आवाम भुगतेगी 
खुले आसामन में उड़ने की चाहत रखने वालों के 
पर अब पर कुतरे जायेगे 
कदम -कदम चलने पर अब लोग भी थर्रायेगें
ये कैसा कठिन समय आया है अफगानिस्तान पर 
हावी हो गया अतंकवाद चन्द दिनों के विराम पर..... 

बुधवार, 18 अगस्त 2021

बिखरता जीवन

 
  चित्र गूगल से साआभार 

आज नहीं तो कल नींद आ ही जायेगी 
ये रोते बिलखते लोगों की चीखें 
उनकी साँसों को खा ही जायेंगी 
कब तक लड़ेगे ये खाली हाथ 
बात तो गुलामी तक आ ही जायेगी
जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होगा 
संकुचित विचारधारा में जीना 
अब इनको सीखना होगा 
अगर आज बच जायेगे तो 
कल सबको बन्दूकों चलना भी सीखना होगा
गुमनामी की ज़िन्दगी कैसे जियेंगें 
अंधकार में जाते भविष्य को कैसे सीयेगे
ऐसे विनाशकों के बीच कैसे जियेंगें...
           चित्र गूगल से साआभार

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

काशी

               चित्र गूगल से साआभार 

किस्से कहानियों में 
बहुत पढ़ा है काशी को 
तो हम भी काशी जाना चाहते हैं
काशी के घाटों के कुछ दिन के 
हम वासी होना चाहते हैं
महादेव की नगरी में कुछ वक्त बिताना चाहते हैं 
उन तंग गलियों में 
अल्हड़ो की तरह मंडराना चाहते है
काशी की दौड़ती दुनिया में 
हम खुद को खोना चाहते हैं
हम तो बस अपने महादेव के होना चाहते हैं
अपने किये सारे पापों को हम चाहते धोना हैं
सारी समस्याओं को हम गंगा में डुबोना चाहते हैं
जितना कुछ पाया है इस जीवन में 
अब हम वो सब कुछ खोना चाहते हैं
ऐ मणिकर्णिका हम तो बस तेरे ही होना चाहते हैं



शनिवार, 26 जून 2021

अंजुरी भर धूप

             चित्र - गूगल साआभार


जब तुम्हारे जीवन में समस्याएं आयेगी
निराशा तुम पर हावी हो जायेगी
चारो ओर बस अन्धकार ही होगा 
जब तुम्हारा आत्मविश्वास 
टूट कर चकनाचूर हो जायेगा
और तुम इस अर्न्तद्वद से 
निकलने की कोशिश में छटपटाओगे 
बार -बार जीतने की कोशिश में
जब हार जाओगे 
तब मैं आऊँगा तुम्हारी मदद को
आशा की ज्योति मैं जगाउँगा
मैं भेज दूँगा अंजुरी भर धूप 
जिससे तुम्हारे जीवन को मिलेगा नया रूप
नये रास्ते पर चलने का साहस मिलेगा
और मिलेगी नयी उर्जा,उत्साह 
जो तुम्हें अँधेरे से निकालकर 
रौशनी में ले आयेगा
और तुम्हारे आत्मविश्वास को 
दोगुना बढ़ा जायेगा फिर 
मन में चल रहे विचारों 
को दिशा मिल जायेगी 
बस तुम लड़ते रहना,हारना मत 
मैं भेज दूँगा अंजुरी भर धूप 
तुम्हारे जीवन को रोशन करने के लिए 
तुम घबराना मत .... 

मंगलवार, 22 जून 2021

नदी

                  चित्र -गूगल साअभार 

निकल पडी गन्तव्य को अपने तुम्हें दूर है जाना 
संघर्षों के पथ को तुमने अपना जीवन माना 
पग-पग पर तुम टकराती हो जीवन की सच्चाई से
तोड़ के सारी बाधाओं को चलती तुम अलसाई सी
माना कि तुम थकी बहुत हो, पर तुम्हें दूर है जाना 
कदम दो कदम सुस्ता लो फिर तेजी से बढ़ जाना 
करो परिश्रम आगे बढो तुम, मंजिल अभी दूर है 
इतना लम्बा रास्ता है कि तुम छाया सुरुर है 
कहाँ तुम्हारी मंजिल है ये मैने अब पहचाना 
सागर से मिलने को चली तुम ये मैंनें है जाना....

थोडी़ सी शाम

youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि  तुम आओगी तो छत के  इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...