बुधवार, 5 मई 2021

क्या मुझे वो स्नेह मिल सकेगा..?

मैं दिन रात तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता हूँ 
तुम्हें देखकर जीता हूँ और तुम पर ही मरता हूँ
तुम ही मेरे एहसासों में समाई हो 
तुमसे प्यार ही मेरे जीवन भर की कमाई है
तुम्हारी एक झलक के लिए हम बेकरार हैं
कैसे कहें कि कितना तुमसे प्यार है
तुम्हारे बिन तो ये जीवन भी बेकार है
क्या तुम्हें इन बातों का इल्म है?
तुम्हारे इन्तजार मैं बस आहें भरता हूँ
मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारा हर जगह माथा टेक आया 
लेकिन तुम्हारे आने का कुछ पता नहीं 
इश्क़ किया है तुमसे इतनी बड़ी तो ये खता नहीं 
गर खता है भी तो आकर सजा दे दो
कम से कम इन एहसासों को समझकर 
इनको खत्म करने की ही वजह दे दो
अगर मैं भुला पाया इन एहसासों को 
तो तुम्हारा मुझ पर अहसान होगा 
और ना भुला पाया तो 
तुम्हें एक नजर देखकर जीना आसान होगा
मैं समझ जाऊँगा कि तुम
मेरे हाथों की इन लकीरें का हिस्सा बन न सकोगी
ज़िन्दगी के हर कदम में तुम मेरे साथ चल ना सकोगी 
मैं मान लूँगा कि जो स्नेह मैं तुमसे चाहता हूँ 
वो मुझे कभी मिल ना सकेगा
तुमसे गिला तो नहीं  लेकिन 
ये दिल फिर किसी से इश्क़ कर ना सकेगा ...

शनिवार, 1 मई 2021

गोविंद अब तो आ जाओ.....

                     चित्र -गूगल से साआभार

मुझमें मैं नहीं रह गया 
बस तुम ही समाये हो 
जीवन में फैली निराशा तो 
बस तुम ही याद आये हो
इस विपत्ति की घड़ी में 
गोविन्द अब तो आ जाओ
इस संकट के निकलने का 
कोई मार्ग तो सुझाओ
कितना तड़प रहें सब 
कुछ तो इसका हल बतलाओ
इस संकट की स्थिति को
गोविंद अब तुम ही निपटाओ
हर क्षण खत्म हो रहे जीवन में
आशा की एक किरण दिखाओ 
तिल -तिल मरते लोगों को 
तुम जीवन दान का उपहार दे जाओ 
मृत्यु के तांडव को रोककर 
उम्मीदों के की नाव चलाओ
सब को उसमें बैठाकर तुम 
इस संकट से पार लगाओ 
अब मत देर करो गोविन्द 
बस जल्दी से आ जाओ 
निस्तेज हो रहे जीवन को 
तुम अपने तेज से भर जाओ...

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

आपदा या अवसर

कोरोना की दूसरी लहर ने इस समय देश में तबाही मचा रखी है। श्मशान घाटों पर जगह कम पड़ गयी। लगातार जलती लाशों के कारण भट्टियाँ भी पिघलना शुरू हो गयी हैं। लेकिन असल में तो इन्सान पिघल रहा है। उसकी उम्मीदें और आशायें भी उन भट्टियों में जलते शवों के साथ पिघल रही हैं। आँखों के सामने अपने प्रियजनों को इस तरह से दम तोड़ते देखना किसी सदमें से कम नहीं हैं। इस सदमें से हम श्याद ही कभी उबर पायें। जिस तरह से हॉस्पिटल के बाहर एम्बुलेंस की लाइनें लगी है उससे तो यही लगता है कि कोरोना इस बार किसी को बख्शनें के मूड़ में बिल्कुल नहीं है। देश के हर जिले में हालात हर घंटे बद से बदतर होते होते जा रहे हैं। मौत का आँकड़ा पुराने सारे रिकार्ड तोड़ रहा।

पता नहीं आगे क्या होगा अभी तक कोई भी वैक्सीन सौ फीसदी कोरोना को खत्म करने में सक्षम नहीं हो सकी है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस बार भारत में सम्भावना है कि कोरोना से लाखों जाने जायेगी। सरकार भी नियमों का पालन करने को तो कह रही है लेकिन चुनाव जरूर करवायेगी उसे नहीं टालेगी। सब अपनी जरूरत के हिसाब से चल रहें हैं। बहुत से हास्पिटल और एनजीओ भी इस बुरे दौर में अधिक से अधिक मद्द करने की कोशिश में लगे हैं लेकिन बहुत से स्वार्थी लोग इस मुश्किल वक्त में लोगों की मजबूरियों का फायदा उठा रहें हैं। दो सौ रूपये की दवा के दो हजार रूपये ले रहे हैं आपदा को अवसर में तो सही तरीके से इन्होंनें ही बदला है। 

अब लखनऊ की ही बात करते हैं। मेरे पापा की तबियत खराब थी आधी रात को उन्हें लेकर हम लेकर हास्पिटल पहुँचें। डॉक्टर को हमने पापा की नेगेटिव आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट दी तो वो बोल पडे़ हम केजीएमयू की रिपोर्ट नहीं मानते आप हमारे लैब से टेस्ट करवाईये हम आरएमएल  की रिपोर्ट वैलिड मानते है और हम अभी इनको एडमिट भी नहीं करेंगें। कल आप लोग यहाँ आकर टेस्ट करवा लीजिए परसों रिपोर्ट नेगेटिव आयी तो हम एडमिट कर लेंगें। इतना बोलकर कुछ दवाई लिख दी और दस मिनट में ढाई हजार का बिल बन गया।
फिर पापा के आॅक्सीजन लेवल को देखकर बोले 94 -95 चल रहा है हो सकता है सुबह तक इनको आॅक्सीजन की कमी हो जाये तो आप लोग व्यवस्था कर लीजिए। इस तरह उन्होंनें हमें डरा दिया कि समझ ही नहीं आ रहा था हम क्या करें। पूरी रात उस समय हमने कैसे गुजारी है हम ही जानते हैं। खैर अगले दिन हमनें पापा का ब्लड टेस्ट करवाया शाम को पता चला उन्हें टायफाइड हुआ है। उसी शाम हमने दूसरे डॉक्टर से बात करके उनके टाइफाइड के इन्जेक्शन घर पर ही लगवाने शुरू कर दिये और अब पापा पूरी तरह से ठीक हैं। 
यहाँ लखनऊ में तो ऐसी आपदा के बीच भ्रष्टाचार और कालाबजारी अपने चरम पर है। इस स्थित में लोग लूट और कालबाजारी कर रहें हैं ना ईश्वर उनको जरूर इसकी सजा देगा। 

सब लोग अपना और अपनों का ख्याल रखें साथ ही इस चीज का भी ध्यान रखें की कब और किस टेस्ट की कितनी आवश्यकता है। जहाँ जरूरत हो दूसरों की मदद भी करें मोबाइल स्विच आफ करके ना बैठ जाये। 


शुरूआत हुई तो सब डरे से थे
कोरोना का नाम सुनकर मरे से थे
सब्जियाँ धुली और हाथ भी धोया 
साबुन से बारम्बार 
काढ़ा और गरम पानी को 
बनाया अपना हथियार 
हाथों को सैनेटाइज करके
 मिटा दी दो चार रेखा 
और कोरोना के डर से 
थियेटर का मुँह ना देखा 
घर में पड़े -पड़े बोर हुए 
लेकिन निकले ना एक भी बार 
दो गज की दूरी है जरूरी 
कहती है जो ये सरकार 
पालन किया सभी नियमों का 
फिर भी लटक रही तलवार 
चारों तरफ कोरोना ने 
मचाई है हाहाकर 
ताली बजाई, थाली बजाई 
बेमौसम दिवाली मनाई 
लेकिन खतरा टला नहीं 
आसानी से जाने वाली 
ये छोटी सी बला नहीं 
सब कुछ कर डाला हमने 
फिर कोरोना मरा नहीं 
बार -बार ये रूप बदलता 
गर्मी, सर्दी, बरसात में
मौसम की मार देख रहा ये 
हम इन्सानों के साथ में 
ज़िन्दगी को कर दिया बेकार 
बन गया कोरोना एक भार 
बहुत सहा ये अत्याचार 
सब नियम हो गये तार- तार
कोरोना ने कर दिया नया वार 
लगा दिया लाशों का अम्बार 
हमें घर में फिर बन्द करने को तैयार 
कोराना ने लिया नया अवतार 
वैक्सीन भी है लड़ने को तैयार
फिर भी नहीं रुक रहा वार 
बहुत बढ़ गया अत्याचार 
कितना सहें हम बार -बार 
कैसे करें इसका उपचार 
डॉक्टर भी इसके आगे लाचार 
अब तो चले जाओ यार.... 

रविवार, 11 अप्रैल 2021

फिर से लाॅकडाऊन

पाँच दिन से लगातार फिर से लॉकडाउन की खबरें उड़ रही हैं।कोरोना का कहर एक बार फिर से हम पर टूट रहा है।  कोरोना हमारे जीवन एक त्रासदी बनकर आया। ऐसी त्रासदी जिसकी वजह से ना जाने कितने लोगों को पलायन करना पड़ा। मीलों की पैदल यात्रा भूखे प्यासे गरीबों द्वारा तय की गयी। कुछ घर पहुँचे तो कुछ रास्ते में ही भूख और थकान से दम तोड़ गये। 

इन्सान तो इन्सान जानवरों का भी जीवन यापन कर पाना एक समस्या बन गया। पिछला लॉकडाऊन बड़ा भयवाह रहा। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले तो कोरोना से ज्यादा भूखे ही मर गये।भूख एक बहुत बड़ी बीमारी बन गया जिसने कोरोना को एक झटके में मात दे दी थी।

लॉकडाऊन में तो सभी परेशान होते हैं लेकिन एक गरीब का सोचिए जो रोज कमाता है और शाम को कमाये पैसों से राशन खरीद कर लाता है तब उसके घर में खाना बनाता है। ऐसे लोग इस त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।  फिर वैसे ही हालत बन रहे...कोरोना फिर से अपने पाँव पसारा रहा है। पिछली बार श्याद मौतों का आँकड़ा इस बार की अपेक्षा बहुत कम था। इस बार अप्रैल शुरू होते ही कोरोना के केस और मौतों के आँकड़ों में इतनी ज्यादा बढोत्तरी हो गयी है कि फिर से लॉकडाऊन के कयास लगाये जा रहें हैं।
 
हमारे लखनऊ का हाल कुछ ज्यादा ही बुरा हो गया है। यहाँ एक तरफ हॉस्पिटल में बेड की कमी है तो दूसरी तरफ श्मशान घाट में जगह भी कम पड़ रही है। इस बार कोराना पिछली बार से बहत ज्यादा खतरनाक रूप में सामने आया है तो बेहतर यही कि खुद को बहुत अच्छी इम्यूनटी वाला समझ कर नियमों की अनदेखी ना करे। फिर से सैनेटाइजर और मास्क का उपयोग करना शुरू कर दें। क्योंकि अगर ऐसा ही चलता रहा तो सरकार को मजबूरन लाॅकडाऊन लगाना पड़ेगा। 

मेरे जान पहचान में दो लोगों की मौत इस एक हफ्ते में कोरोना से हो चुकी है और चार से पाँच लोग अभी भी संक्रमित है। आप सब अपना और अपने परिवार का ख्याल रखिये और सतर्क रहिये साथ ही इसे पिछले साल की तरह इसे कमजोर कोरोना मत समझिये। इस बार इसने जिसको भी अपनी गिरफ्त में लिया है उसमें से ज्यादातर लोग वेन्टिलेटर पर ही जा रहें हैं। मेरे घर से 300 मीटर की दूरी पर ही अस्पताल है जिससे जानकारी मिलती रहती हैं। यहाँ हालात बहुत बुरे हैं। बस बचाव ही उपाय है साथ ही जिन्होंनें वैक्सीन नहीं लगवाई है मेरा यही सुझाव है कि लगावा लें क्योंकि जिस स्पीड से कोरोना फैला रहा है लगता नहीं कि इसके संक्रमण से कोई बच पायेगा। जान है तो जहान है घर पर रहें सुरक्षित रहें,, जब अत्याधिक आवश्यक हो तभी बाहर निकलें। 

बुधवार, 7 अप्रैल 2021

मेरे शिव

         
                        चित्र -गूगल से साअभार 

मेरे इष्ट तुम 
मेरी सृष्टि तुम 
तुम ही मेरे आधार हो 
मेरा मौन भी सुन लेते हो
तुम ही मेरे पालनहार हो
मेरी हर समस्या का समाधान 
झट से तुम कर देते हो
मेरी आँखों से आँसू गिरे तो 
सारे दुःख हर लेते हो 
तुम सार हो विस्तार हो 
मेरे जीवन का आधार हो 
मैं तुमको पूजती हूँ भोले 
तुम ही मेरे संसार हो
   ........हर -हर महादेव 

थोडी़ सी शाम

youtube मैं रोज अपनी भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से थोड़ी सी शाम बचा लेता हूँ कि  तुम आओगी तो छत के  इसी हिस्से पर बैठकर बातें करेंगें...